बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
धर्म निरपेक्षीकरण क्या है? इसके प्रमुख तत्वों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
धर्म निरपेक्षीकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
अथवा
धर्म निरपेक्षीकरण क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारणों का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1- लौकिकीकरण का अर्थ तथा तत्व बताइये।
अथवा
लौकिकीकरण पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा
धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर -
लौकिकीकरण का अर्थ
धर्म तथा धार्मिक सिद्धान्तों का व्यक्ति के जीवन तथा समाज में महत्वपूर्ण स्थान है। धर्म के नाम पर कई युद्ध हुए। धर्म तथा राजनीति ने साथ मिलकर कार्य किया। राजधर्म को समाज में सबसे ऊँचा स्थान दिया जाता है परन्तु अंग्रेजों के भारत आने के पश्चात् व्यक्ति का धर्म के प्रति दृष्टिकोण बदला तथा व्यक्ति ने भौतिकवाद में रुचि ली।
वास्तव में पश्चिमीकरण की प्रक्रिया में ही लौकिकीकरण की प्रक्रिया का समावेश होता है। इसमें समानतावादी मूल्यों को महत्व दिया जाता है। पश्चिमीकरण के कारण धर्म के क्षेत्र में उदासीनता आयी जिस कारण व्यक्ति की पहचान उसकी जाति या धर्म के आधार पर नहीं अपितु उसकी सामाजिक स्थिति के आधार पर की जाने लगी। धर्म के स्थान पर योग्यता को प्राथमिकता देने का नाम ही लौकिकीकरण है।
अन्य शब्दों में लौकिकीकरण उस भावना का नाम है जिसके द्वारा पूर्व प्रचलित धार्मिक मान्यताओं को परिवर्तित करके धर्म को प्रभावहीन कर दिया गया है तथा धर्म, लिंग तथा जाति के भेदभाव को समाप्त करके योग्यता को प्राथमिकता दी गई है।
एम० एन० श्रीनिवास के अनुसार “लौकिकीकरण शब्द से अभिप्राय है जो कुछ पहले धार्मिक माना जाता है, अब वह वैसा नहीं माना जा रहा है और उसका तात्पर्य विभेदीकरण की प्रक्रिया से भी है जोकि समाज के विभिन्न पहलुओं-आर्थिक, राजनीतिक, कानूनी और नैतिकता के प्रति सम्बन्ध में भी अधिक पृथक् दिखाई पड़ती है।"
"The Term Secularization implies that what was previously regarded as religious is now ceasing to be such and it also implies a proces sat diferentiation which result in the various aspects of society economic, political, legal and moral be coming incereasingly discrete in relation to each other."
लौकिकीकरण की प्रक्रिया में व्यवहार का उद्देश्य धार्मिक न होकर व्यावहारिक होता है तथा जो वस्तु पारलौकिक समझी जाती थी उसकी व्याख्या लौकिक रूप से की जाती है। अन्य शब्दों में धार्मिकता का ह्रास ही लौकिकीकरण है।
भारतीय समाज में लौकिकता को धर्म निरपेक्षता के नाम से जाना जाता है। गाँधी जी ने भी इसका समर्थन किया। उनके अनुसार, सैक्युलर ( Secular) का अर्थ धर्महीनता नहीं अपितु सर्वधर्म स्वभाव की प्रक्रिया अर्थात् स्वतन्त्र देश के नागरिक अपने धर्म को पहचाने तथा दूसरे के धर्म के प्रति सद्भाव तथा आदर रखे।
श्रीनिवास ने धर्म के स्थान पर तर्क के आधार पर किसी घटना की व्याख्या को लौकिकीकरण माना। लौकिकीकरण की प्रक्रिया में मुख्य रूप से निम्न विशेषतायें पाई जाती हैं
(1) धर्म के प्रभाव में कमी।
(2) विभिन्न शास्त्र जैसे - मनोविज्ञान, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र का महत्व |
(3) तर्क तथा विवेक की प्रधानता।
(4) वैज्ञानिक आविष्कारों का महत्व।
(5) वैयक्तिक गुणों की प्रधानता।
(6) लोक हितकारी राज्य की कल्पना।
लौकिकीकरण की प्रक्रिया के तीन आवश्यक तत्व हैं -
(1) धार्मिक संकीर्णता का ह्रास - लौकिकीकरण लोकपरकता का एक प्रमुख तत्त्व या लक्षण यह है कि इसकी वृद्धि के साथ-साथ धार्मिक कट्टरपन व संकीर्णता का ह्रास होता है। लौकिकता वास्तव में धर्महीनता नहीं है, यह तो तार्किक व व्यावहारिक स्तर पर धर्म के अनुचित प्रभावों से व्यक्ति की सामाजिक मुक्ति है। इसी कारण धार्मिक व्यवहारों व क्रियाओं को पारलौकिक या आध्यात्मिक उद्देश्यों से नहीं अपितु सामाजिक उद्देश्य व व्यावहारिक लाभ के लिए किया जाता है।
(2) तार्किकता - लौकिकीकरण का दूसरा आवश्यक तत्त्व तार्किकता है कि इसके अन्तर्गत सभी धार्मिक व परम्परागत अन्ध-विश्वासों व कुसंस्कारों को तर्क की कसौटी पर कसा जाता है। इसलिए इसके अन्तर्गत सभी प्रचलित विश्वासों, विचारों अथवा चीजों में तार्किकता का तत्त्व अवश्य ही होता है। दूसरे शब्दों में, परम्परागत विश्वासों व विचारों को आधुनिक ज्ञान व तर्क के सन्दर्भ में परिवर्तित व परिमार्जित किया जाता है।
(3) विभेदीकरण की प्रक्रिया - अन्त में, लौकिकीकरण के एक अति महत्त्वपूर्ण तत्त्व या लक्षण के रूप में विभेदीकरण की प्रक्रिया का भी उल्लेख किया जा सकता है। लौकिकता में विभेदीकरण की प्रक्रिया का तात्पर्य यह है कि इससे समाज में विभेदीकरण बढ़ता है। समाज के विभिन्न पहलू - आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, नैतिक, कानूनी आदि एक-दूसरे से पृथक् होते जाते हैं। इन सभी क्षेत्रों में धर्म का महत्त्व या प्रभाव कम होता जाता है।
उदाहरण के लिए - राज्य को ले लीजिए। पहले राजा पुरोहित के नीचे होता था, परन्तु आज धर्म और राज्य अलग-अलग हो गए हैं। स्पष्ट ही है कि इस प्रक्रिया के अन्तर्गत जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में धर्म का बन्धन समाप्त होता जाता है।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- विकास के अर्थ तथा प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। बॉटोमोर के विचारों को लिखिये।
- प्रश्न- विकास के आर्थिक मापदण्डों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के आयामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास क्या है?
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषतायें बताइये। संस्कृतिकरण के साधन तथा भारत में संस्कृतिकरण के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषायें बताइये। पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता बताइये तथा पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणाम बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
- प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
- प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
- प्रश्न- विवाह की संस्था में क्या परिवर्तन हुए स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- अन्य क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
- प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?